लेखनी कहानी -19-Oct-2022 प्रतियोगिता हेतु कविता सतत, साधना


सतत साधना
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नवल धवल मौके देती है सतत साधना,
करनी ही  होगी जन-जन को  सतत साधना।

ध्यान केंद्रित कर लक्ष्य साधने को सतत साधना,
लक्ष्य प्राप्त करने को संघर्षों की सतत साधना।

जीवन में जन-जन की संचारक है सतत साधना,
प्राप्त करें धवल रोशनी प्रापक कर सतत साधना।

आच्छादित खुशियों से करती सतत साधना
आनंदित जग में जन होता करके सतत साधना।

कर्म स्वरूप करती है 'अलका' जग में सतत साधना,
तन-मन भक्तिमय हो रम जाती सतत साधना…!

पुष्पों सा सुगंधित बनता जीवन करके सतत साधना,
आनंदित चहुं दिशि घूमें पूर्ण मनोरथ करें सतत साधना।

अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
स्व रचित
@सर्वाधिकार सुरक्षित।

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7 Comments

Reena yadav

20-Oct-2022 04:17 PM

👍👍🌺

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Khan

20-Oct-2022 04:07 PM

Nice 👍

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बहुत ही सुंदर सृजन

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